तमिलनाडु के अरियालूर की कुछ खास बातें जिसे आप नहीं जानते होंगे?|Why you should visit Ariyalur, Tamil Nadu

तमिलनाडु का अरियालूर जिल्ला: इतिहास और प्रकृति का संगम

अरियालूर, तमिलनाडु का एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध जिला है। यह प्राचीन चोल साम्राज्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है। यहां आपको प्राचीन मंदिर, ऐतिहासिक स्मारक और प्राकृतिक सुंदरता का अद्भुत संगम देखने को मिलेगा।

 


अरियालूर में पर्यटन की प्रमुख जगहें:

 

किन्नार देवी मंदिर:

 यह मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला के लिए जाना जाता है। यहां की मूर्तियां और नक्काशी बेहद खूबसूरत हैं।

अरियालूर का किन्नार देवी मंदिर दक्षिण भारत के प्राचीन मंदिरों में से एक है। यह मंदिर अपनी अद्वितीय वास्तुकला और देवी किन्नार की मूर्ति के लिए प्रसिद्ध है।

मंदिर का इतिहास

किन्नार देवी मंदिर का निर्माण किस काल में हुआ था, इस बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मंदिर की वास्तुकला से यह स्पष्ट है कि यह चोल काल के दौरान बनाया गया था। किन्नार देवी को एक अप्सरा माना जाता है और इसे सौंदर्य और कला की देवी के रूप में पूजा जाता है।

मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है। मंदिर का गोपुरम (प्रवेश द्वार) बहुत ही भव्य है और इस पर अनेक मूर्तियां और नक्काशी की गई है। मंदिर के गर्भगृह में देवी किन्नार की एक सुंदर मूर्ति स्थापित है।

किन्नार देवी को आमतौर पर एक अर्धनारीश्वर रूप में दर्शाया जाता है, जिसमें देवी का ऊपरी भाग महिला और निचला भाग पुरुष होता है। यह देवी को शक्ति और सौंदर्य का प्रतीक मानता है।

किन्नार देवी मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और देवी से आशीर्वाद मांगते हैं। मंदिर में साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं।

मंदिर में साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं, लेकिन कोई एक विशेष दिन नहीं है जिसे सभी के लिए महत्वपूर्ण माना जाता हो।

हालांकि, स्थानीय लोग और भक्त विभिन्न अवसरों पर मंदिर में आते हैं, जैसे:

नवरात्रि: नवरात्रि के दौरान, देवी को समर्पित विशेष पूजा और अनुष्ठान किए जाते हैं।

पूर्णिमा: पूर्णिमा के दिन भी मंदिर में विशेष पूजा होती है।

मकर संक्रांति: मकर संक्रांति के दिन भी मंदिर में भक्तों की भीड़ होती है।

स्थानीय त्योहार: स्थानीय त्योहारों के दौरान भी मंदिर में विशेष आयोजन किए जाते हैं।

 


कावेरी नदी

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर:

यह मंदिर कावेरी नदी के तट पर स्थित है और अपनी भव्यता के लिए प्रसिद्ध है।

अरियालूर, तमिलनाडु का एक ऐतिहासिक शहर है, जो अपनी समृद्ध संस्कृति और प्राचीन मंदिरों के लिए जाना जाता है। इनमें से एक प्रमुख मंदिर है श्री रंगनाथस्वामी मंदिर। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और अपनी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर का निर्माण किस काल में हुआ था, इस बारे में निश्चित जानकारी उपलब्ध नहीं है। हालांकि, मंदिर की वास्तुकला से यह स्पष्ट है कि यह चोल काल के दौरान बनाया गया था। मंदिर का पुनर्निर्माण और विस्तार विभिन्न राजाओं ने समय-समय पर करवाया था।

मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है। मंदिर का गोपुरम (प्रवेश द्वार) बहुत ही भव्य है और इस पर अनेक मूर्तियां और नक्काशी की गई है। मंदिर के गर्भगृह में भगवान विष्णु की शेषनाग पर शयन करते हुए एक विशाल मूर्ति स्थापित है।

श्री रंगनाथस्वामी मंदिर स्थानीय लोगों के लिए आस्था का केंद्र है। लोग यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर आते हैं और भगवान से आशीर्वाद मांगते हैं। मंदिर में साल भर कई त्योहार मनाए जाते हैं।

भगवान विष्णु की मूर्ति: मंदिर का मुख्य आकर्षण भगवान विष्णु की शेषनाग पर शयन करते हुए विशाल मूर्ति है।

गोपुरम: मंदिर का गोपुरम बहुत ही भव्य है और इस पर अनेक मूर्तियां और नक्काशी की गई है।

मंडप: मंदिर में कई मंडप हैं जहां भक्त पूजा करते हैं।

तलाब: मंदिर परिसर में एक बड़ा तालाब भी है जहां भक्त स्नान करते हैं।

 

उच्चीपिल्लैयार मंदिर:

 यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है और अपनी विशाल मूर्ति के लिए जाना जाता है।

अरियालूर के पास उच्चीपिल्लैयार मंदिर, तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली स्थित एक प्रसिद्ध और प्राचीन मंदिर है। यह मंदिर भगवान गणेश को समर्पित है और इसकी स्थापना चोल राजवंश के समय हुई थी।

इस मंदिर से जुड़ी एक रोचक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि रावण के वध के बाद, जब भगवान श्रीराम ने विभिषण को रंगनाथ की प्रतिमा दी थी, तो गणेश जी ने विभीषण को धोखा देने के लिए प्रतिमा को जमीन पर रख दिया था। इसी स्थान पर बाद में यह मंदिर बना।

विभीषण जब यह जान पाए तो उन्होंने क्रोध में आकर गणेश जी पर वार किया था। इसी वजह से गणेश जी को यहां छिपना पड़ा था।

इस घटना के बाद, इसी स्थान पर भगवान गणेश का मंदिर बनाया गया जिसे उच्चीपिल्लैयार मंदिर के नाम से जाना जाता है।

यह मंदिर एक पहाड़ी पर स्थित है और यहां पहुंचने के लिए भक्तों को 273 फीट की ऊंचाई तय करनी होती है।

मंदिर तक पहुंचने के लिए लगभग 400 सीढ़ियां हैं।

यह मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक बेहतरीन उदाहरण है।

मंदिर से कावेरी नदी और आसपास के क्षेत्र का मनोरम दृश्य दिखाई देता है।

 

तमिलनाडु

अरियालूर किला:

यह किला एक समय अरियालूर का शासन केंद्र था। यहां से आप पूरे शहर का नज़ारा देख सकते हैं।

अरियालूर जिला, तमिलनाडु का एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक स्थल है। यहां स्थित अरियालूर किला, जिले के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। यह किला अपने समृद्ध इतिहास और वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है।

अरियालूर किले का निर्माण चोल राजवंश के शासनकाल के दौरान हुआ था। यह किला कई शताब्दियों से विभिन्न राजवंशों के अधीन रहा है और प्रत्येक शासक ने इसमें अपने हिसाब से परिवर्तन किए हैं। इस किले ने कई युद्धों को देखा है और इसका गवाह भी रहा है।

अरियालूर किला द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। इसकी विशाल दीवारें, मजबूत गेट और खूबसूरत नक्काशी इसे एक अद्वितीय पहचान देते हैं। किले में कई मंदिर और महल भी हैं जो इसकी शान को बढ़ाते हैं।

अरियालूर किला न केवल एक ऐतिहासिक स्थल है बल्कि यह क्षेत्र की संस्कृति और परंपराओं का भी प्रतिनिधित्व करता है। यह किला पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण है।

किले में प्रवेश के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाता है।

 

कावेरी नदी:

 कावेरी नदी तमिलनाडु की जीवन रेखा है। आप यहां नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं।


 

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