जयपुर में घूमने लायक सुंदर जगहें|Top 5 to 10 places to visit in Jaipur

जयपुर - गुलाबी शहर

जयपुर, राजस्थान की राजधानी और भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। इसे 'गुलाबी शहर' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि शहर की अधिकांश इमारतें गुलाबी रंग की हैं। जयपुर अपनी शानदार वास्तुकला, समृद्ध संस्कृति और जीवंत बाजारों के लिए जाना जाता है।

जयपुर, राजस्थान की राजधानी Jaipur Rajasthan


Jaipur, also known as the Pink City, is the capital and largest city of the Indian state of Rajasthan. It's a popular tourist destination, renowned for its rich history, vibrant culture, and stunning architecture.

जयपुर की स्थापना 1727 में आमेर के राजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने की थी। उन्होंने इसे एक नियोजित शहर के रूप में डिजाइन किया था और वास्तुशास्त्र के सिद्धांतों का पालन करते हुए इसे बनाया था। 1876 में प्रिंस ऑफ वेल्स के स्वागत में पूरे शहर को गुलाबी रंग से रंग दिया गया था, तब से इसे गुलाबी शहर के नाम से जाना जाता है।

जयपुर में घूमने के लिए बेहतरीन जगहें

हवा महल:

जयपुर का सबसे प्रसिद्ध आकर्षण है। यह महल अपनी अनूठी वास्तुकला और हजारों छोटी खिड़कियों के लिए जाना जाता है।

हवा महल, जयपुर का सबसे प्रसिद्ध स्थलों में से एक है। यह एक पांच मंजिला इमारत है, जिसे इसकी अनूठी वास्तुकला और हजारों छोटी-छोटी खिड़कियों के लिए जाना जाता है। यह महल जयपुर के शाही महिलाओं के लिए बनाया गया था, ताकि वे बिना देखे हुए शहर की रौनक का आनंद ले सकें।

हवा महल का निर्माण 1799 में महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने करवाया था। इसे शाही महिलाओं के लिए बनाया गया था, ताकि वे पर्दे के पीछे से शहर की गतिविधियों को देख सकें। हवा महल में कुल 953 खिड़कियां हैं, जो इसे एक छत्ते जैसा दिखाती हैं। हवा महल को गुलाबी बलुआ पत्थर से बनाया गया है, जो जयपुर को गुलाबी शहर का नाम देता है। महल में ऊपर जाने के लिए कोई सीढ़ियां नहीं हैं, बल्कि रैंप हैं। महल के अंदर तीन मंदिर हैं - गोवर्धन कृष्ण मंदिर, प्रकाश मंदिर और हवा मंदिर।

जयपुर का हवा महल


सिटी पैलेस:

यह महल जयपुर का शाही परिवार का निवास था। यहां आप राजपूत शासकों की शानदार जीवनशैली का अनुभव कर सकते हैं।

जयपुर का सिटी पैलेस गुलाबी शहर की शान और राजस्थानी वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह महल न केवल जयपुर का प्रमुख पर्यटन स्थल है, बल्कि राजस्थान की समृद्ध संस्कृति और इतिहास का प्रतीक भी है। सिटी पैलेस का निर्माण 1729 और 1732 के बीच महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय द्वारा किया गया था। उन्होंने आमेर किले को छोड़कर जयपुर को अपनी राजधानी बनाया और इस शानदार महल का निर्माण करवाया। यह महल मुगल और राजपूत शैली का एक अद्भुत मिश्रण है। सिटी पैलेस एक विशाल परिसर है जिसमें कई महल, मंदिर, उद्यान और संग्रहालय शामिल हैं।

गुलाबी शहर की शान


मुबारक महल:

यह महल मेहमानों के स्वागत के लिए बनाया गया था। आज यह एक संग्रहालय के रूप में कार्य करता है।

जयपुर के सिटी पैलेस में स्थित मुबारक महल एक ऐतिहासिक इमारत है जो अपनी शानदार वास्तुकला और समृद्ध इतिहास के लिए जानी जाती है। इसका निर्माण 19वीं सदी के अंत में महाराजा माधो सिंह द्वितीय ने करवाया था। इस महल का इस्तेमाल विदेशी मेहमानों के स्वागत के लिए किया जाता था।

मुबारक महल में राजपूत, मुगल और यूरोपीय वास्तुकला का अद्भुत संगम देखने को मिलता है। इसकी नक्काशीदार संगमरमर की फर्श, भारी पीतल के दरवाजे और अंदरूनी दीवारों पर की गई शानदार सजावट आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।

आज, मुबारक महल महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय का हिस्सा है। यहां आप शाही परिवार के वस्त्रों, हथियारों और अन्य कलाकृतियों का एक विशाल संग्रह देख सकते हैं। ये वस्तुएं राजपूत शासकों के शानदार जीवनशैली की झलक पेश करती हैं।


चंद्र महल: यह सात मंजिला महल शाही परिवार के निवास के लिए बनाया गया था।

चंद्र महल का निर्माण महाराजा जय सिंह द्वितीय ने करवाया था और यह सिटी पैलेस का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा माना जाता है। इस सात मंजिला इमारत का प्रत्येक तल का अपना अलग महत्व और नाम है, जैसे कि पितम निवास, सुख निवास, चाबी निवास, रंग मंदिर, मुकुंत महल और श्री निवास।

यह महल न केवल राजाओं का निवास था बल्कि राजनीतिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र भी था। यहां शाही परिवार के सदस्य रहते थे और महत्वपूर्ण निर्णय लिए जाते थे।

दीवान-ए-आम: यह सार्वजनिक दर्शकों के लिए खुला हॉल है।

महारानी महल: यह महल शाही परिवार की रानियों के लिए बनाया गया था।

गोविंद देव जी मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है।

 

आमेर किला: 

यह किला जयपुर के पास स्थित है और एक यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है।

जयपुर का आमेर किला, जिसे आम्बेर का किला भी कहा जाता है, भारत के राजस्थान राज्य की राजधानी जयपुर के आमेर क्षेत्र में एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित एक पर्वतीय दुर्ग है। यह जयपुर नगर का प्रधान पर्यटक आकर्षण है।

आमेर के बसने से पहले इस जगह मीणा जनजाति के लोग रहते थे, जिन्हे कच्छवाह राजपूतो ने अपने अधीन कर लिया। यह दुर्ग व महल अपने कलात्मक विशुद्ध हिन्दू वास्तु शैली के घटकों के लिये भी जाना जाता है।

वर्तमान आमेर महल को 16वीं शताब्दी के परार्ध में बनवाया गया जो वहां के शासकों के निवास के लिये पहले से ही बने प्रासाद का विस्तार स्वरूप था। आमेर को मध्यकाल में ढूंढाड़ नाम से जाना जाता था और यहां 11वीं शताब्दी से - अर्थात् 1037 से 1727 ई॰ तक कछवाहा राजपूतों का शासन रहा, जब तक की उनकी राजधानी आमेर से नवनिर्मित जयपुर शहर में स्थानांतरित नहीं हो गयी। इस महल को बनाने में 25 वर्ष एवं यह राजा मान सिंह प्रथम के काल में (1589-1614 ई॰) में 1599 ई॰ में बन कर तैयार हुआ। आमेर का किला अपने शीश महल के कारण भी प्रसिद्ध है। इसकी भीतरी दीवारों, गुम्बदों और छतों पर शीशे के टुकड़े इस प्रकार जड़े गए हैं कि केवल कुछ मोमबत्तियाँ जलाते ही शीशों का प्रतिबिम्ब पूरे कमरे को प्रकाश से जगमग कर देता है।

 

jaypur rajasthan


जंतर मंतर:

यह एक खगोलीय वेधशाला है जिसे जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था।

जयपुर का जंतर मंतर एक ऐसी खगोलीय वेधशाला है जो दुनिया भर में अपनी खास वास्तुकला और खगोलीय उपकरणों के लिए जानी जाती है। इसे 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने बनवाया था। जंतर मंतर में कई विशाल खगोलीय उपकरण हैं जिनका उपयोग समय, ग्रहों की स्थिति और खगोलीय घटनाओं को मापने के लिए किया जाता था।

जयपुर का जंतर मंतर 1727 से 1734 के बीच बनाया गया था। इसका निर्माण खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करने और सटीक कैलेंडर बनाने के लिए किया गया था। 2010 में, जयपुर का जंतर मंतर यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया गया। यहां कई विशाल खगोलीय उपकरण हैं जैसे कि सम्राट यंत्र, राम यंत्र, मिश्र यंत्र आदि। ये उपकरण पत्थर से बने हैं और इनका निर्माण बहुत ही सटीकता के साथ किया गया है। इन उपकरणों का उपयोग समय मापने, ग्रहण की भविष्यवाणी करने और खगोलीय घटनाओं का अध्ययन करने के लिए किया जाता था।

सम्राट यंत्र: यह जंतर मंतर का सबसे बड़ा और सबसे जटिल उपकरण है। इसका उपयोग समय और ग्रहों की स्थिति को मापने के लिए किया जाता था।

राम यंत्र: इस उपकरण का उपयोग सूर्य और चंद्रमा की स्थिति को मापने के लिए किया जाता था।

मिश्र यंत्र: इस उपकरण का उपयोग त्रिकोणमितीय गणनाओं के लिए किया जाता था।

 


नाहरगढ़ किला:

यह किला जयपुर शहर को देखने के लिए एक शानदार जगह है। जयपुर के नाहरगढ़ किला अरावली पर्वतमाला की चोटी पर स्थित एक भव्य किला है। यह जयपुर शहर को घेरे हुए पहाड़ों पर बना हुआ है और शहर के शानदार दृश्य प्रदान करता है। यह किला अपनी भव्य वास्तुकला, समृद्ध इतिहास और प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है।

नाहरगढ़ किले का निर्माण 1734 में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। इस किले का निर्माण आमेर किले की सुरक्षा के लिए किया गया था और इसे जयपुर शहर का रक्षा कवच माना जाता था। किले का नाम एक स्थानीय लोककथा से जुड़ा है, जिसमें कहा जाता है कि किले के निर्माण के दौरान एक भूत आता था और निर्माण कार्य में बाधा डालता था। इस भूत का नाम नाहर सिंह था और किले को उसके नाम पर नाहरगढ़ नाम दिया गया।

नौ निवास: किले में नौ रानियों के लिए अलग-अलग महल बनाए गए हैं।

मदन निवास: यह महल किले का सबसे बड़ा महल है और इसमें शाही परिवार के निजी कक्ष थे।

जापानी उद्यान: किले में एक सुंदर जापानी उद्यान है, जो शांति और शांति का प्रतीक है।

मंदिर: किले में कई मंदिर हैं, जिनमें नाहर सिंह भोमिया का मंदिर भी शामिल है।



जल महल:

यह महल मानसून के मौसम में पानी में डूबा हुआ दिखाई देता है। जयपुर का जल महल मानसागर झील के बीचों-बीच स्थित एक अनोखा महल है। यह अपनी खूबसूरती और अद्भुत वास्तुकला के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है।

इस महल का निर्माण 18वीं शताब्दी में महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने करवाया था। यह महल शिकार के दौरान आराम करने के लिए बनाया गया था। जल महल की सबसे खास बात यह है कि इसके चार मंजिल पानी के अंदर हैं और केवल एक मंजिल ही ऊपर दिखाई देती है। जल महल के चार मंजिल पानी के अंदर हैं, जिससे यह गर्मी में ठंडा रहता है।



अल्बर्ट हॉल म्यूजियम:

यहां आप राजस्थानी कला और संस्कृति के बारे में जान सकते हैं। अल्बर्ट हॉल म्यूजियम राजस्थान की राजधानी जयपुर में स्थित एक प्रसिद्ध संग्रहालय है। यह राजस्थान का सबसे पुराना संग्रहालय है और अपनी समृद्ध कलाकृतियों और इतिहास के लिए जाना जाता है।

इस संग्रहालय की स्थापना 1876 में महाराजा सवाई राम सिंह द्वितीय ने की थी। इसका नाम ब्रिटिश राजकुमार अल्बर्ट एडवर्ड के नाम पर रखा गया था, जो 1876 में जयपुर आए थे।

संग्रह में शामिल: पुराने चित्र, दरियाँ, हाथी दाँत की कलाकृतियाँ, कीमती पत्थर, धातु की मूर्तियाँ, रंगबिरंगी वस्तुएं

अल्बर्ट हॉल म्यूजियम का समय: सुबह 9:30 बजे से शाम 5:00 बजे तक

 


जयपुर में साल भर कई तरह के त्योहार मनाए जाते हैं। आप इन त्योहारों में शामिल होकर राजस्थानी संस्कृति का अनुभव कर सकते हैं।

जयपुर की यात्रा का सबसे अच्छा समय: अक्टूबर से मार्च तक का समय जयपुर घूमने के लिए सबसे अच्छा होता है। इस दौरान मौसम सुहावना रहता है।

जयपुर कैसे पहुंचे: जयपुर हवाई अड्डा और रेलवे स्टेशन देश के अन्य हिस्सों से अच्छी तरह से जुड़ा हुआ है।

जयपुर एक ऐसा शहर है जहां आपको हर कोने पर कुछ नया देखने को मिलेगा।

 

जयपुर घूमने में कितना खर्चा आएगा?

3-4 दिन की जयपुर यात्रा में लगभग 5000 से 15000 रुपये खर्च कर सकते हैं। इसमें यात्रा का खर्च, रहने का खर्च, खाने का खर्च और घूमने का खर्च शामिल है।


अपनी यात्रा की तारीखें पहले से तय करें: जयपुर में होटल की कीमतें सीजन के अनुसार बदलती रहती हैं। यदि आप कम कीमत पर होटल ढूंढना चाहते हैं, तो ऑफ-सीजन में यात्रा करें।

 बुकिंग करते समय फ्लेक्सिबल डेट्स का उपयोग करें: यदि आप अपनी यात्रा की तारीखों में लचीले हैं, तो आप विभिन्न होटलों की कीमतों की तुलना कर सकते हैं और सबसे सस्ती दर पा सकते हैं।

अग्रिम बुकिंग करें: जयपुर में होटल जल्दी भर जाते हैं, इसलिए यदि आप अपनी यात्रा के लिए कम कीमत पर होटल ढूंढना चाहते हैं, तो जल्दी से बुकिंग करें।

समीक्षाएँ पढ़ें: होटल बुक करने से पहले, अन्य यात्रियों की समीक्षाएँ पढ़ें ताकि आप यह सुनिश्चित कर सकें कि आप एक अच्छा होटल चुन रहे हैं।

 

होटल

रेटिंग

एक रात्रि किंमत

कोंटेक्ट नं.

Cozy Castle

5.0

346

088299 14128

होटल धरोहर पैलेस

3.7

364

090010 40584

होटल ज़मार्रुद पैलेस

3.4

447

098297 99935

शिव शक्ति गेस्ट हाउस

2.7

448

098877 44046

मोस्टेल गेस्ट हाउस - जयपुर

4.5

457

095882 5794

 

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