कांचीपुरम दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में स्थित एक प्राचीन शहर है। इसे 'सौ मंदिरों का शहर' भी कहा जाता है। यह शहर अपनी समृद्ध संस्कृति, इतिहास और खूबसूरत मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। भारत में कांचीपुरम, जिसे हजार मंदिरों के शहर के रूप में भी जाना जाता है, देश के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है।
यहां हर कदम पर आपको प्राचीन और भव्य मंदिर
मिलेंगे। कांचीपुरम अपनी रेशमी साड़ियों के लिए भी जाना जाता है। शहर का इतिहास
बहुत पुराना है और यहां कई ऐतिहासिक स्थल हैं।
कांचीपुरम में घूमने की जगहें
कैलाशनाथ मंदिर:
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित
है और पल्लव वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
इस मंदिर का निर्माण 8वीं
शताब्दी में पल्लव वंश के राजा नरसिंहवर्मन द्वितीय ने अपनी पत्नी की प्रार्थना पर
करवाया था। मंदिर के अग्र भाग का निर्माण राजा के पुत्र महेंद्रवर्मन तृतीय ने
करवाया था। मंदिर के मुख्य परिसर में 58 छोटे-छोटे मंदिर हैं जो इसे और
भी खास बनाते हैं। मंदिर की दीवारों पर अनेक शिल्पकारी और मूर्तियां हैं जो
देवी-देवताओं और पौराणिक कहानियों को दर्शाती हैं। यह मंदिर 1300 साल पुराना
है और आज भी अपनी संरचना से लोगों को मंत्रमुग्ध करता है। इस मंदिर में पत्थरों को
इतनी कुशलता से जोड़ा गया है कि यह एक कला का अद्भुत नमूना है। इस मंदिर ने दक्षिण
भारत के कई अन्य मंदिरों की स्थापत्य कला को प्रभावित किया है। यह मंदिर पल्लव वंश
के शासनकाल का एक महत्वपूर्ण स्मारक है।
कामाक्षी अम्मन मंदिर:
यह मंदिर देवी कामाक्षी को समर्पित है और शहर
का सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है।
माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पल्लव
वंश के शासकों ने करवाया था। हालांकि, मंदिर को कई बार पुनर्निर्मित
किया गया है और वर्तमान संरचना कई शताब्दियों के विकास का परिणाम है। कामाक्षी
अम्मन मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। मंदिर का
गर्भगृह, मंडप और
गोपुरम अत्यंत भव्य हैं। मंदिर की दीवारों पर अनेक शिल्पकारी और मूर्तियां हैं जो
इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती हैं। मंदिर के गर्भगृह में देवी कामाक्षी की एक
भव्य मूर्ति विराजमान है। देवी को पद्मासन में बैठी हुई दिखाया गया है और उनके
हाथों में विभिन्न आयुध हैं। यहां कई धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें
नवरात्रि सबसे प्रमुख है।
वरदराज पेरुमल मंदिर:
यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है और इसकी
भव्यता देखने लायक है।
वरदराज पेरुमाल मंदिर तमिलनाडु
के कांचीपुरम में स्थित भगवान विष्णु को समर्पित एक प्राचीन और भव्य मंदिर है। इसे
'विष्णु
कांची' भी कहा
जाता है। यह दिव्य देशम में से एक है, जो विष्णु के वह 108 मंदिर हैं
जहाँ 12 आलवार
संतों ने तीर्थ करा था। इस मंदिर का निर्माण चोल राजाओं ने करवाया था और बाद में
विजयनगर साम्राज्य के शासनकाल में इसका विस्तार किया गया था। मंदिर की वास्तुकला
द्रविड़ शैली की है और इसमें कई बार परिवर्तन किए गए हैं।
मंदिर में भगवान विष्णु की एक भव्य मूर्ति
विराजमान है,
जिन्हें
वरदराज पेरुमाल के नाम से जाना जाता है। मंदिर में 100 स्तंभों
वाला एक विशाल हॉल है। मंदिर परिसर में एक विशाल तालाब है जिसे अनंत तीर्थम कहा
जाता है। मंदिर में छिपकलियों की पूजा की जाती है। एक मान्यता के अनुसार, मंदिर में
एक कुएं में एक विशाल छिपकली रहती थी, जिसे भगवान श्रीकृष्ण ने बाहर
निकाला था। यह मंदिर दिव्य देशम में से एक है, जो वैष्णवों के लिए सबसे पवित्र
स्थानों में से एक है।
एकाम्बरेश्वर मंदिर:
यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसकी
विशालता देखते ही बनती है।
कांचीपुरम का एकाम्बरेश्वर मंदिर भगवान शिव
को समर्पित एक प्राचीन और भव्य मंदिर है। यह दक्षिण भारत के सबसे बड़े शिव मंदिरों
में से एक है और इसकी भव्य वास्तुकला और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। इस
मंदिर का निर्माण सातवीं शताब्दी में चोल राजाओं ने करवाया था। बाद में पल्लव और
विजयनगर साम्राज्य के शासकों ने भी इसमें अपना योगदान दिया। मंदिर का नाम 'एकाम्बरेश्वर' इसलिए पड़ा
क्योंकि यहां एक प्राचीन आम का पेड़ है, जिसके नीचे देवी पार्वती ने
भगवान शिव की तपस्या की थी।
मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है।
मंदिर का गर्भगृह, मंडप और गोपुरम अत्यंत भव्य हैं। मंदिर के
अंदर और बाहर अनेक शिल्पकारी और मूर्तियां हैं जो इसकी सुंदरता में चार चांद लगाती
हैं। मंदिर का सबसे खास हिस्सा इसका 1000 स्तंभों वाला मंडप है। मंदिर
परिसर में एक प्राचीन आम का पेड़ है, जिसके नीचे देवी पार्वती ने
तपस्या की थी। यह मंदिर पंचभूत स्थलों में से एक है, जो पृथ्वी तत्व को समर्पित है।
कुमारकोट्टम:
यह एक प्राचीन मंदिर है जो भगवान कार्तिकेय
को समर्पित है।
कुमारकोट्टम कांचीपुरम
का एक महत्वपूर्ण मंदिर है जो युवा देवता कार्तिकेय को समर्पित है। कार्तिकेय को
कुमार भी कहा जाता है, इसलिए इस मंदिर को कुमारकोट्टम कहा जाता है।
यह मंदिर कांचीपुरम के अन्य दो प्रमुख मंदिरों, कामाक्षी अम्मन मंदिर और
एकाम्बरेश्वर मंदिर के बीच स्थित है।
यह मंदिर, कामाक्षी अम्मन मंदिर और
एकाम्बरेश्वर मंदिर के साथ मिलकर, हिंदू त्रिमूर्ति (ब्रह्मा, विष्णु, महेश) का
प्रतिनिधित्व करता है। माना जाता है कि यह तीनों मंदिर मिलकर सोमस्कंद की आकृति
बनाते हैं,
जिसमें
कार्तिकेय (कुमार) पार्वती और शिव के बीच बैठे हैं। मंदिर में कार्तिकेय की भव्य
मूर्ति है,
जिन्हें
ब्रह्मा चट्टम कहा जाता है। उनकी पत्नियां, वल्ली और देवयानी भी मंदिर में
विराजमान हैं। यहां कई धार्मिक त्योहार मनाए जाते हैं, जिनमें
कार्तिकेय जयंती सबसे प्रमुख है। कुमारकोट्टम
के आसपास कई अन्य मंदिर और धार्मिक स्थल हैं, जैसे कि कच्छपेश्वर मंदिर। यह
मंदिर भी बहुत प्राचीन है और माना जाता है कि यहां भगवान विष्णु ने कच्छप अवतार
में शिव की आराधना की थी।
सर्व तीर्थम:
यह एक विशाल जलकुंड है जो कई
छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है। कांचीपुरम का सर्व तीर्थम एक विशाल
और पवित्र जलकुंड है, जिसे सभी तीर्थों का संगम माना जाता है। यह
कांचीपुरम के कई छोटे मंदिरों से घिरा हुआ है और स्थानीय लोगों के लिए एक
महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है।
मान्यता है कि इस कुंड में सभी पवित्र नदियों
और तीर्थों का जल समाहित है। यह एक विशाल
चौकोर जलकुंड है, जिसके चारों ओर कई छोटे मंदिर हैं। कुंड में
उतरने के लिए सीढ़ियां बनी हुई हैं। कुंड के आसपास सीतेश्वर मंदिर, मल्लिकारुजेश्वर
मंदिर, काशी
विश्वनाथ मंदिर और हनुमंतेश्वर मंदिर जैसे कई छोटे मंदिर हैं। यह कुंड बहुत पुराना
है और इसका इतिहास हजारों साल पुराना है।
सर्व तीर्थम के आसपास कई अन्य मंदिर और
धार्मिक स्थल हैं, जैसे कि कुमारकोट्टम, कच्छपेश्वर
मंदिर और कांची कामाक्षी अम्मन मंदिर।
कांचीपुरम में कई बजट फ्रेंडली होटल
होटल |
रेटिंग |
प्रति
रात्रि शुल्क |
कोंटेक्ट
नं. |
हेरिटेज
इन |
2.9 |
₹1,391 |
098400 41211 |
संकरा
रेसिडेंसी |
2.0 |
₹1,453 |
|
4.0 |
₹1,512 |
|
|
VV Residency Kanchipuram |
3.5 |
₹1,554 |
044 2723 3335 |
3.7 |
₹1,590 |
099860 30778 |
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