तमिलनाडु का तंजावुर जिला अपने ऐतिहासिक मंदिरों, कला और शिल्प के लिए प्रसिद्ध है। यह शहर हथकरघा रेशम, सूती साड़ी, पेंटिंग, कांस्य, पीतल की मूर्तियां खरीदने के लिए सबसे अच्छी जगह है।
तंजावुर में घूमने की जगहें
बृहदेश्वर मंदिर:
तंजावुर यह मंदिर भारतीय शिल्प और वास्तुकला का
अद्भूत उदाहरण है। मंदिर के दो तरफ खाई है और एक ओर अनाईकट
नदी बहती है। अन्य मंदिरों से अलग इस मंदिर में गर्भगृह के ऊपर बड़ी मीनार है जो 216 फुट ऊंची है। मीनार के ऊपर कांसे का स्तूप है। मंदिर की
दीवारों पर चोल और नायक काल के चित्र बने हैं जो अजंता की गुफाओं की याद दिलाते
हैं। मंदिर के अंदर नंदी बैल की विशालकाय प्रतिमा है।
मंदिर के शिखर पर एक
स्वर्ण कलश स्थापित है जो दूर से ही चमकता दिखाई देता है। मंदिर के शिखर की परछाई
दिन के किसी भी समय जमीन पर नहीं पड़ती है। यह एक रहस्य है जिसे आज तक वैज्ञानिक
भी नहीं समझ पाए हैं। मंदिर के प्रवेश द्वार पर स्थित नंदी की प्रतिमा इतनी बड़ी
है कि इसके मुंह में एक व्यक्ति खड़ा हो सकता है। बृहदेश्वर मंदिर न केवल एक
धार्मिक स्थल है बल्कि यह भारतीय इतिहास और संस्कृति का भी एक महत्वपूर्ण केंद्र
है। यह मंदिर चोल साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक है।
सरस्वती महल पुस्तकालय:
इस पुस्तकालय में 44,000
से अधिक पांडुलिपियां हैं। ये पांडुलिपियां
ताड़ के पत्तों और कागज पर लिखी गई हैं। इनमें से अधिकतर पांडुलिपियां संस्कृत
भाषा में हैं। इसके अलावा, यहां तमिल, तेलुगु, मराठी और अंग्रेजी भाषाओं में भी पांडुलिपियां हैं। इन
पांडुलिपियों में धर्म, दर्शन, गणित, खगोल विज्ञान, चिकित्सा और संगीत जैसे
विभिन्न विषयों पर जानकारी मिलती है।
इस पुस्तकालय की स्थापना 16वीं शताब्दी में तंजावुर के नायक राजाओं ने की
थी। उन्होंने इसे एक शाही पुस्तकालय के रूप में स्थापित किया था। बाद में मराठा
शासकों ने इस पुस्तकालय का विस्तार किया और इसे समृद्ध बनाया। 1918 में इसे जनता के लिए खोल दिया गया था।
विजयनगर किला:
यह किला 16वीं शताब्दी के मध्य में
बनाया गया था। इसके अंदर तंजावुर पैलेस, संगीत महल, तंजावुर आर्ट गैलरी,
शिव गंगा गार्डन और संगीत महल पुस्तकालय हैं।
विजयनगर किले का निर्माण 16वीं शताब्दी के मध्य में हुआ था। इसे नायक
राजाओं ने बनवाया था। इस किले का इस्तेमाल शाही निवास और शहर की रक्षा के लिए किया
जाता था। किले के अंदर कई महत्वपूर्ण इमारतें हैं, जैसे कि तंजावुर पैलेस, संगीत महल, तंजावुर आर्ट गैलरी,
शिवगंगा गार्डन और सरस्वती महल पुस्तकालय।
गंगईकोंडा चोलपुरम:
यह एक प्राचीन शहर है
जिसे चोल राजा राजेंद्र चोल I ने बनवाया था। यहां का
बृहदेश्वर मंदिर भी बहुत प्रसिद्ध है।
तमिलनाडु का गंगईकोंडा
चोलपुरम एक ऐतिहासिक शहर है जो चोल राजवंश के शक्तिशाली शासन का प्रमाण है।
राजेंद्र चोल प्रथम ने 11वीं सदी में इस शहर को
अपनी राजधानी बनाया था। यह शहर अपनी भव्य वास्तुकला, विशेषकर बृहदेश्वर मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
इस शहर का नामकरण
राजेंद्र चोल प्रथम ने गंगा नदी के जल को जीतने के उपलक्ष्य में किया था। उन्होंने
बंगाल पर विजय प्राप्त करके गंगा नदी का जल लाया था और इस शहर में एक विशाल कुंड
में भर दिया था। इसीलिए इस शहर का नाम गंगईकोंडा चोलपुरम पड़ा।
गंगईकोंडा चोलपुरम का
बृहदेश्वर मंदिर द्रविड़ शैली की वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह मंदिर
भगवान शिव को समर्पित है और इसकी तुलना तंजावुर के बृहदेश्वर मंदिर से की जाती है।
शिवगंगा गार्डन:
यह एक सुंदर बगीचा है जो विजयनगर किले के अंदर स्थित है।
इस उद्यान का निर्माण 16वीं शताब्दी में नायक राजाओं ने करवाया था।
शुरू में इसे शाही परिवार के लिए निजी उद्यान के रूप में बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे जनता के लिए खोल दिया गया। 1871-72
में तंजावुर नगरपालिका ने इसे एक सार्वजनिक
उद्यान के रूप में विकसित किया।
द्यान का मुख्य आकर्षण
शिवगंगा तालाब है। माना जाता है कि इस तालाब को राजा राजा चोलन ने बनवाया था।
तालाब का पानी मीठा और स्वादिष्ट होता है। उद्यान में एक मिनी चिड़ियाघर भी है
जहां आप विभिन्न प्रकार के जानवरों को देख सकते हैं।
अलंगुडी गुरु मंदिर:
तमिलनाडु के तंजावुर जिले
में स्थित अलंगुडी गुरु मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
यह मंदिर देवगुरु बृहस्पति को समर्पित है, जिन्हें ज्योतिष में ज्ञान, धन और समृद्धि के देवता
माना जाता है।
इस मंदिर का निर्माण
पल्लव शासकों के समय में हुआ था, लेकिन इसका जीर्णोद्धार
चोल शासकों के समय में करवाया गया था। मान्यता है कि इसी पवित्र स्थान पर देवगुरु
बृहस्पति ने भगवान शिव की तपस्या करके नवग्रहों में सर्वश्रेष्ठ होने का आशीर्वाद
प्राप्त किया था।
इस मंदिर में देवगुरु
बृहस्पति की भव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर में भगवान शिव, सूर्यदेव, सोम और सप्तर्षि के मंदिर
भी हैं। मान्यता है कि जो व्यक्ति इस मंदिर की 24 परिक्रमा करता है, उस पर देवगुरु बृहस्पति का विशेष आशीर्वाद बरसता है। ज्योतिष शास्त्र में
बृहस्पति ग्रह को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस मंदिर में आकर लोग बृहस्पति
देव की कृपा पाने की कामना करते हैं। मान्यता है कि इस मंदिर में आने से धन और
समृद्धि में वृद्धि होती है। बृहस्पति देव को ज्ञान और बुद्धि का देवता माना जाता
है। इस मंदिर में आकर लोग ज्ञान और बुद्धि की प्राप्ति की कामना करते हैं। हर साल
जब बृहस्पति ग्रह राशि बदलता है, तो इस मंदिर में गुरु
पयारची का उत्सव मनाया जाता है। इस दौरान लाखों श्रद्धालु यहां आते हैं।
थानजई ममानी कोइल:
यह मंदिर देवी पार्वती को
समर्पित है।
तंजावुर का थानजई ममानी
कोइल, जिसे राजराजेश्वर मंदिर
के नाम से भी जाना जाता है, दक्षिण भारत के सबसे
प्रसिद्ध और भव्य मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और चोल
राजा राजा चोल प्रथम द्वारा 11वीं शताब्दी में बनवाया
गया था।
मंदिर को एक ही पत्थर के
विशाल टुकड़े को काटकर बनाया गया है, जो उस समय की इंजीनियरिंग का एक अद्भुत उदाहरण है।
तंजावुर अपनी हस्तशिल्प
के लिए जाना जाता है। यहां आप खूबसूरत रेशमी साड़ियां, कांस्य की मूर्तियां और पेंटिंग्स खरीद सकते हैं।
तंजावुर में रुकने के लिए
बजट फ्रेंडली होटल
Hotels |
रेटिंग |
प्रति रात्रि मूल्य |
कोंटेक्ट नं. |
N.S.P
Residents |
2.7 |
₹979 |
|
Vel Residency |
3.6 |
₹1,020 |
096268 56888 |
Hotel Valli |
3.9 |
₹1,063 |
04362 231 580 |
4.0 |
₹1,069 |
073732 44200 |
|
4.7 |
₹1,120 |
097914 85115 |
आप अपनी पसंद के अनुसार
कोई भी होटल चुन सकते हैं। कृपया ध्यान दें कि होटल की कीमतें बदल सकती हैं,
इसलिए बुकिंग करने से पहले होटल से संपर्क करना
सबसे अच्छा है।
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