कुड्डालोर क्यों प्रसिद्ध है?|BEST Places to Visit in Cuddalore

कुड्डलोर(कदलूर) तमिलनाडु का एक खूबसूरत जिला है, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और ऐतिहासिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह जिला समुद्र तटों, मंदिरों, और ऐतिहासिक स्थलों से भरपूर है। आइए, कुड्डलोर में घूमने लायक कुछ प्रमुख स्थानों के बारे में जानते हैं:

कदलूर  तमिलनाडु


What is special in Cuddalore?

कुड्डलोर बीच: कुड्डलोर शहर के बीच में स्थित यह समुद्र तट स्थानीय लोगों के लिए एक लोकप्रिय पर्यटन स्थल है। यहां आप समुद्र में तैर सकते हैं, सनबाथ ले सकते हैं और स्थानीय खानों का लुत्फ उठा सकते हैं।

 

पिडावली बीच: यह एक शांत और शांत समुद्र तट है, जो प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर है। यहां आप प्रकृति के करीब महसूस कर सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

पिडावली बीच


तिरुनल्लार धरबरन्येश्वर मंदिर:

यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और यह शनि देव के लिए भी प्रसिद्ध है। यह मंदिर अपनी प्राचीन वास्तुकला के लिए जाना जाता है।

कुड्डलोर जिले में स्थित तिरुनल्लार धरबरन्येश्वर मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर शनि देव को समर्पित होने के कारण देशभर से श्रद्धालुओं का आकर्षण का केंद्र है।

मंदिर में शनि देव की एक विशाल और भव्य मूर्ति स्थापित है। मंदिर परिसर में राहु और केतु के मंदिर भी हैं। मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड भी है, जिसमें स्नान करने से पापों का नाश होता है ऐसा माना जाता है। महाशिवरात्रि के दिन यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है। शनि जयंती के दिन भी यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

 

तिरुनल्लार धरबरन्येश्वर मंदिर

भुवराह स्वामी मंदिर, कुड्डालोर:

कुड्डालोर (कदलूर) का भुवराह स्वामी मंदिर दक्षिण भारत के प्रमुख वैष्णव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है, जिन्होंने पृथ्वी को समुद्र से बाहर निकाला था। मंदिर की स्थापत्य कला और धार्मिक महत्व इसे एक विशेष स्थान बनाते हैं।

यह मंदिर बहुत प्राचीन है और इसका इतिहास हजारों साल पुराना माना जाता है। मंदिर भगवान विष्णु के वराह अवतार को समर्पित है, जो हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अवतार है। यह मंदिर वैष्णव परंपरा के 108 अभिमान क्षेत्रों में से एक है।

 

वैष्णव परंपरा के 108 अभिमान

पिचवरम मैंग्रोव वन:

कुड्डलोर (कदलूर) का पिचवरम मैंग्रोव वन दक्षिण भारत में स्थित एक अद्भुत प्राकृतिक स्थल है। यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा एकल खारे पानी का मैंग्रोव वन है। इस वन की सुंदरता और जैव विविधता इसे प्रकृति प्रेमियों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बनाती है।

यह वन वेल्लार नदी और कोल्लिडम नदी के मुहाने पर स्थित है। यह एक विशाल रेत की पट्टी द्वारा समुद्र से अलग होता है। इस वन में कई प्रकार के द्वीप स्थित हैं। यहां विभिन्न प्रकार के मैंग्रोव पेड़, पक्षी, मछली और अन्य समुद्री जीव पाए जाते हैं। पिछले कुछ वर्षों में यह वन पर्यटकों के लिए एक लोकप्रिय स्थल बन गया है। यहां नाव की सवारी करके वन के अंदर घूम सकते हैं यह वन तटीय क्षेत्र को तूफानों और कटाव से बचाता है। यह कई प्रकार के जीवों के लिए आवास भी प्रदान करता है

 

कदलूर का पिचवरम मैंग्रोव वन

फोर्ट सेंट डेविड /संत डेविड का किला:

संत डेविड का किला 17वीं शताब्दी में अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। इस किले को पूर्वी तट पर अंग्रेजों के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित किया गया था। यह किला कई बार युद्धों का गवाह रहा है और विभिन्न शक्तियों के हाथों में रहा है।

किले में कई पुराने तोप हैं जो अंग्रेजों के शासनकाल की याद दिलाते हैं। किले के अंदर एक चर्च भी है जो अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था। किले में एक संग्रहालय भी है जहां आप किले के इतिहास से जुड़ी कई चीजें देख सकते हैं। किले के पास ही एक समुद्र तट है जहां आप आराम कर सकते हैं

पोनेर नदी: यह नदी कुड्डलोर जिले में बहती है और यह एक लोकप्रिय पिकनिक स्पॉट है। आप यहां नौका विहार का आनंद ले सकते हैं और आसपास के दृश्यों का लुत्फ उठा सकते हैं।

गदिलम नदी: यह नदी भी कुड्डलोर जिले में बहती है और यह एक महत्वपूर्ण जल स्रोत है। आप यहां नदी के किनारे टहल सकते हैं और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

 

संत डेविड का किला

कुड्डालोर का पदलेश्वर मंदिर:

कुड्डालोर का पदलेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित एक प्राचीन और पवित्र मंदिर है। यह मंदिर अपनी वास्तुकला, शांतिपूर्ण वातावरण और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है।

इस मंदिर का इतिहास बहुत ही प्राचीन है। माना जाता है कि यह मंदिर चोल राजवंश के काल से भी पुराना है। मंदिर में भगवान शिव को पदलेश्वर के रूप में पूजा जाता है। मंदिर की वास्तुकला द्रविड़ शैली की है। मंदिर की दीवारों और छतों पर अद्भुत शिल्पकारी देखने को मिलती है। मंदिर परिसर में एक पवित्र कुंड भी है, जिसमें स्नान करने से पापों का नाश होता है ऐसा माना जाता है। पदलेश्वर मंदिर न केवल एक धार्मिक स्थल है बल्कि यह एक ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व का स्थान भी है।

 

तमिलनाडु, भारत में एक सुंदर तटीय शहर कुड्डालोर, आगंतुकों को इतिहास, संस्कृति और प्राकृतिक सुंदरता का एक रमणीय मिश्रण प्रदान करता है। कुड्डालोर घूमने का सबसे अच्छा समय नवंबर और फरवरी के बीच है जब मौसम हल्का और सुहावना होता है। इस अवधि के दौरान, तापमान 20-30 डिग्री सेल्सियस के बीच रहता है, जो इसे दर्शनीय स्थलों की यात्रा, समुद्र तट पर घूमने और पानी के खेल जैसी बाहरी गतिविधियों के लिए आदर्श बनाता है। कुड्डालोर में मानसून का मौसम जून से सितंबर तक होता है, जिसमें भारी बारिश और कभी-कभी बाढ़ आती है, जिससे यह यात्रा के लिए कम अनुकूल समय होता है। कुल मिलाकर, सर्दियों का मौसम कुड्डालोर शहर और उसके आस-पास के आकर्षणों को देखने के लिए एकदम सही समय है।

 

कुड्डलोर में बजट फ्रेंडली होटल की तलाश में हैं?

 

होटल्स

रेटिंग

One night

 Contect no.

Hotel surya priya Cuddalore

3.7

₹1,232

04142 233 178

Sri Sathiya Sai Recidency Rooms

4.1

₹1,268

080729 06511

होटल स्वाति लॉज

3.7

₹1,326

 

सागर रेसिडेंसी

3.9

₹1,341

0413 226 6950

Keychain Hoemstay

4.4

₹1,352

094445 16741

 

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