चित्तौड़गढ़, राजस्थान का एक ऐतिहासिक शहर है जो अपने विशाल किले के लिए प्रसिद्ध है। यह किला राजपूतों के वीरता और बलिदान की गाथाओं से जुड़ा हुआ है। चित्तौड़गढ़ का किला भारत के सबसे बड़े किलों में से एक है और यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है।
चित्तौड़गढ़
में आप क्या क्या देख सकतेहो :
चित्तौड़गढ़
का किला:
चित्तौड़गढ़
का किला 7वीं शताब्दी में बनाया गया था और 700
एकड़ में फैला हुआ है। यह किला तीन बार शक्तिशाली दुश्मनों
का हमला सहन कर चुका है और हर बार वीरता से लड़ा गया है। किले के अंदर कई मंदिर,
महल और अन्य इमारतें हैं जो इसकी शान को और बढ़ाती हैं।
चित्तौड़गढ़
का इतिहास राजपूत वीरता और बलिदान की गाथाओं से भरा पड़ा है। यहां तीन बार जौहर
हुआ था,
जिसमें रानी पद्मिनी, रानी कर्णावती और अन्य महिलाओं ने अपने सम्मान की रक्षा के
लिए आग में कूदकर प्राण त्याग दिए थे।
फतेह सागर तालाब: यह एक कृत्रिम तालाब है जो किले के अंदर स्थित है।
विजय
स्तंभ:
यह स्तंभ
महमूद खिलजी को हराने के बाद राणा कुम्भा ने बनवाया था। यह स्तंभ राजपूत वास्तुकला
का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
चित्तौड़गढ़
का विजय स्तंभ, राजस्थान के गौरवशाली इतिहास और शौर्य का प्रतीक है। यह स्तंभ महाराणा कुंभा
द्वारा 15वीं शताब्दी में मालवा के सुल्तान महमूद खिलजी पर विजय
प्राप्त करने के उपलक्ष्य में बनवाया गया था। यह सिर्फ एक स्मारक नहीं है,
बल्कि भारतीय वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना भी है।
विजय स्तंभ का
निर्माण 1440
से 1448 के बीच हुआ था। यह 122 फीट ऊंचा और 9 मंजिला है। इसके निर्माण में लगभग 90
लाख रुपये का खर्च आया था। स्तंभ का आकार भगवान शिव के डमरू
जैसा है और इसे बनाने में लगभग 8 साल लगे थे।
यह स्तंभ
चित्तौड़गढ़ के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है और यह हमें राजपूतों के शौर्य
और बलिदान की कहानियां बताता है। इस स्तंभ में कुल 9 मंजिलें हैं और प्रत्येक मंजिल पर विभिन्न देवी-देवताओं की
मूर्तियां हैं। स्तंभ पर कई शिलालेख उत्कीर्ण हैं जिनमें चित्तौड़ के शासकों का
इतिहास लिखा हुआ है। स्तंभ की वास्तुकला अत्यंत जटिल और सुंदर है। स्तंभ पर अनेक
प्रकार की कलाकृतियां जैसे कि मूर्तियां, चित्र और नक्काशी देखने को मिलती हैं। राजस्थान पुलिस ने
विजय स्तंभ को अपना प्रतीक चिन्ह बनाया है। स्तंभ के ऊपरी तल पर जाने के लिए 157
सीढ़ियां हैं।
कीर्ति
स्तंभ:
यह स्तंभ जैन
धर्म के पहले तीर्थंकर भगवान ऋषभदेव को समर्पित है। चित्तौड़गढ़ का कीर्ति स्तंभ,
विजय स्तंभ के समान ही, राजस्थान के इतिहास और संस्कृति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा
है। हालांकि, ये दोनों स्तंभ एक-दूसरे से काफी अलग हैं। विजय स्तंभ जहां राजपूत शौर्य का
प्रतीक है, वहीं कीर्ति स्तंभ जैन धर्म के लिए समर्पित एक धार्मिक स्मारक है। कीर्ति
स्तंभ का निर्माण 12वीं शताब्दी में एक जैन सेठ, जीजाजी भगेरवाला ने करवाया था। यह स्तंभ विजय स्तंभ से लगभग
200
साल पुराना है। इसकी ऊंचाई लगभग 22
मीटर है और इसमें 7 मंजिलें हैं। यह स्तंभ जैन धर्म के लिए समर्पित है और जैन
धर्म की कला और वास्तुकला का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। स्तंभ में जैन तीर्थंकरों की
कई मूर्तियां हैं। स्तंभ पर कई शिलालेख उत्कीर्ण हैं जिनमें जैन धर्म के
सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। स्तंभ की वास्तुकला गुजरात की चौलुक्य स्थापत्य
शैली से प्रभावित है।
स्तंभ के ऊपरी
तल पर आदिनाथ की एक विशाल मूर्ति स्थापित है। स्तंभ के निर्माण में लगभग 72
फीट ऊँचा और नीचे से 30 फीट चौड़ा एवं ऊपर से 15 फीट चौड़ा है। स्तंभ के अंदर 54
चरणों वाली सीढ़ी है।
राणा
कुम्भा महल:
यह महल राणा
कुम्भा का निवास था। चित्तौड़गढ़ का राणा कुम्भा महल,
राजस्थान के गौरवशाली इतिहास और वास्तुकला का एक अद्भुत
नमूना है। यह महल मेवाड़ के शासक महाराणा कुम्भा द्वारा बनवाया गया था और यह
चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित है। यह महल न केवल अपनी भव्यता के लिए बल्कि अपनी
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और रहस्यमयी कहानियों के लिए भी प्रसिद्ध है।
राणा कुम्भा
महल का निर्माण 15वीं शताब्दी में हुआ था। यह महल मूल रूप से बप्पा रावल
द्वारा बनवाया गया था, लेकिन बाद में महाराणा कुम्भा ने इसका पुनर्निर्माण करवाया
था। इस महल का नाम राणा कुम्भा के नाम पर ही रखा गया है। यह महल रानी पद्मिनी की
कथा के लिए भी जाना जाता है। रानी पद्मिनी ने अलाउद्दीन खिलजी से खुद को बचाने के
लिए सैकड़ों अन्य महिलाओं के साथ इस महल के गुप्त कक्ष में आत्मदाह किया था।
महल में आज भी
रानी पद्मिनी की आत्माओं के भटकने की कहानियां प्रचलित हैं। महल के अंदर एक गुप्त
मार्ग भी है जो किले के बाहर जाता है। महल को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित
किया गया है।
रानी
पद्मावती का महल:
यह महल रानी
पद्मावती के नाम से जुड़ा हुआ है। रानी पद्मावती के महल का सटीक निर्माण काल ज्ञात
नहीं है,
लेकिन माना जाता है कि यह महल चित्तौड़गढ़ किले के निर्माण
के साथ ही बना होगा। इस महल को रानी पद्मावती के नाम से इसलिए जाना जाता है
क्योंकि लोकप्रिय मान्यता के अनुसार, अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती की सुंदरता सुनकर
चित्तौड़गढ़ पर आक्रमण किया था। रानी पद्मावती ने खिलजी से अपनी रक्षा के लिए जौहर
कर लिया था।
यह महल एक
तालाब के बीच में स्थित है, इसलिए इसे जल महल भी कहा जाता है। महल के आसपास एक सुंदर
बाग है जहां रानी पद्मावती समय बिताती थीं। महल में एक कमरा है जिसमें बड़े-बड़े
शीशे लगे हुए हैं। कहा जाता है कि अलाउद्दीन खिलजी ने रानी पद्मावती को इसी शीशे
में देखा था। महल के पास ही एक जौहर कुंड है जहां रानी पद्मावती और अन्य महिलाओं
ने जौहर किया था।
कालिका
माता मंदिर: यह मंदिर कालिका माता को समर्पित है।
मीरा
मंदिर:
यह मंदिर
मीराबाई को समर्पित है। मीरा बाई, मेवाड़ के एक राजपूत राजकुमारी थीं। उन्होंने अपने पति की
मृत्यु के बाद भगवान कृष्ण को अपना सब कुछ समर्पित कर दिया था। मीरा बाई की भक्ति
और उनके भजनों ने लोगों को बहुत प्रभावित किया। मीरा बाई के शवसुर,
महाराणा संग्राम सिंह ने मीरा बाई के अनुरोध पर कुंभ मंदिर
के पास एक छोटा सा भगवान कृष्ण का मंदिर बनवाया था। यही मंदिर बाद में मीरा मंदिर
के नाम से प्रसिद्ध हुआ। मीरा मंदिर कुंभ श्याम मंदिर के परिसर में स्थित है। कुंभ
श्याम मंदिर भी बहुत ही सुंदर और प्राचीन मंदिर है।
चित्तौड़गढ़ में करने के लिए चीजें:
- किले के अंदर घूमना और इसके इतिहास के बारे में जानना।
- विजय स्तंभ और कीर्ति स्तंभ पर चढ़कर शहर का नज़ारा
देखना।
- विभिन्न मंदिरों में दर्शन करना।
- फतेह सागर तालाब के किनारे टहलना।
- प्रकाश और ध्वनि शो देखना।
चित्तौड़गढ़ में रुकने के लिए कई बजट फ्रेंडली होटल हैं।
यहां कुछ विकल्प दिए गए हैं:
होटल
प्रेसिडेंट
- यह होटल चित्तौड़गढ़ के केंद्र में स्थित है और इसमें
आरामदायक कमरे और एक रेस्तरां है। रात की दर ₹733 है। 09314112159 (3.2 रेटिंग)
Hotel Jadav
& Natraj Dinnig Hall- यह होटल
चित्तौड़गढ़ के केंद्र में स्थित है और इसमें आरामदायक कमरे और एक रेस्तरां है।
रात की दर ₹772 है। Contect No. 09784324555 (4.0 रेटिंग)
होटल पंडित - यह होटल चित्तौड़गढ़ के केंद्र में स्थित है और इसमें
व्यवस्थित कमरों वाले साधारण-से होटल में कैजुअल रेस्टोरेंट, लाउंज/बार और बगीचा हैं। रात की दर ₹896 है। कोंटेक्ट नं. 01472 241 634 (3.7 रेटिंग)
Hotel
Savaliya & Restaurant or Choudhary ji Ka dhaba- यह होटल चित्तौड़गढ़ के केंद्र में स्थित है और इसमें
आरामदायक कमरे और एक रेस्तरां है। रात की दर ₹917 है। 09664482072 (4.5 रेटिंग)
होटल शाह - यह होटल चित्तौड़गढ़ के केंद्र में स्थित है और इसमें
आरामदायक कमरे और एक रेस्तरां है। रात की दर ₹927 है। 097999 61800 (3.9 रेटिंग)
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